Sunday, May 5, 2019

551. ज़िंदगी की तरह

ज़िन्दगी की तरह
212 212 212 212
प्यार करती रही, ज़िन्दगी की तरह,
बेवफ़ा हो गयी,  ज़िन्दगी की तरह।

साथ हमने दिया, हर घड़ी हर पहर,
छोड़कर वो गयी, ज़िन्दगी की तरह।

ख़्वाब पूरे किये,  तोड़ कर ख़्वाब को,
तोड़कर दिल गयी, ज़िन्दगी की तरह।

सांस बनकर सदा,  साथ चलते रहे,
धडकनें रोक दी, ज़िन्दगी की तरह।

ज़िन्दगी थी अधूरी, "प्रियम" के बिना
मौत देकर गयी,  ज़िन्दगी की तरह।

©पंकज प्रियम

No comments: