डर्टी पॉलिटिक्स
कभी जूते, कभी थप्पड़, कभी स्याही, कभी गाली,
बता हरबार क्यूँ सरजी,.. ..यहाँ खाते तुम्हीं गाली।
किया है पाप क्या तूने,. किसी का दिल दुखाया है-
भला तुझको सदा ही क्यूँ, ..यहाँ देते सभी गाली।।
कहीं जूते कहीं थप्पड़, कहीं स्याही कहीं चप्पल,
सियासी मंच में अब तो दिखे ड्रामा यही पलपल।
गिरी है शाख अब सबकी, नहीं कंट्रोल है अबकी-
चुनावी जंग में अब तो, जुबानी तीर चले हरपल।।
©पंकज प्रियम
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