समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
शिव की प्रियंका
झटक कर हाथ राहुल का, प्रियंका हो गयी शिव की, किया निराश राहुल ने,.... पकड़ ली हाथ उद्धव की। मुखर आवाज़ कांग्रेसी, .....भला वो चुप कहाँ रहती- दिया जो छेड़ गुंडों ने.... बनी अब भक्त वो शिव की।
©पंकज प्रियम
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