Sunday, May 5, 2019

557.रागा

कोर्ट में माफ़ी/मुक्तक

अरे रागा ! सुनो मेरी,  चलो अब मान भी जाओ,
अदालत से लिया माफ़ी, कहा जो मान भी जाओ।
निकल के कोर्ट से बाहर, वही फिर बात दुहरायी-
तुम्हारी बात बचकानी, इसे तुम जान भी जाओ।।

©पंकज प्रियम

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