समय के साथ /मुक्तक
समय की उड़ान/मुक्तक
हवा में उड़ रहे थे जो,... गिरे आकर जमीं पे वो,
गयी रोजी हजारों की, ....करेंगे क्या जमीं पे वो।
प्रबन्धन की कमी से ही, गिरी यह जेट धरती पे-
समय के संग जो उड़ता, नहीं गिरता जमीं पे वो।।
©पंकज प्रियम
समय कहता यही सबसे, समय के साथ ही ढलना
हवा का रुख समझ के तू, हवा के साथ ही चलना।
समय के संग बदलने की, हुनर जिसको नहीं आती-
वही गिरता जमीं पर है, जिसे आता नहीं चलना।
©पंकज प्रियम
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