Tuesday, December 10, 2019

741. चूड़ियाँ

चूड़ियाँ
मुक्तक
पहन के चूड़ियां नारी, सदा शृंगार करती है,
हरी चूड़ी हरा सावन, पिया से प्यार करती है।
सुहागन की भरी हाथें, चमकता सूर्य वो माथे-
खनकती चूड़ियाँ जब है, समझ इज़हार करती है।।
©पंकज प्रियम

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