निःशब्द हूँ प्रियंका
निःशब्द हूँ प्रियंका क्या कहूँ?
यह भारत है जहाँ आतंकवादियो को भी
बचाने को वकील खड़ा हो जाता है
फिर तो तुम्हारे गुनहगार महज रेपिस्ट हैं!
उन दुष्टों के लिए वकीलों की क्या कमी होगी?
कोर्ट में बारबार तुम्हारे नाम पर झूठी जिरह करेंगे
हरबार अपने लफ्फाजियों से
दुष्टों के वकील कोर्ट में तुम्हारा बलात्कार करेंगे,
तुम्हारे माँ-बाप को जलील करेंगे,
लेकिन उन दुष्टों को बचाने की पुरजोर कोशिश करेंगे
तुम प्रियंका हो न
इसलिए न तो कोई मोमबत्ती जलाएगा
न ही कोई अवार्ड वापस करेगा
न फिल्मी हस्तियां कुछ कहेंगी
और न ही कोई धरना प्रदर्शन करेगा,
संविधान लिखनेवाले ने इतनी छूट दे रखी है कि
हर कुकर्मी जघन्य अपराध करके भी छूट जाता है,
कोई झूठी गवाही के बल पर
कोई ठोस सबूतों के अभाव में
कोई धनबल पर, कोई बाहुबल पर
जैसे निर्भया का नाबालिक बलात्कारी!
कानून तो बन गए हैं लेकिन क्या रुका बलात्कार
क्योंकि कड़ी सजा नहीं मिलती
जिस दिन रेपिस्टों की सरेआम सजा होगी
जिस दिन उनकी मोबलिंचिंग होगी
यकीनन खौफ़ पैदा होगा उनमें,
सोचेंगे दस बार रेप करने से पहले
कोई कानून नहीं प्रियंका,
अब तुम्हें हथियार उठाना होगा
खुद के हाथों को तलवार बनाना होगा
©पंकज प्रियम
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