Monday, December 30, 2019

752. हुस्न ये तेराB


हुस्न
बदन को छू अगर लेता, पवन बेताब हो जाता,
अधर को चूम कर तेरे, अधर भी आब हो जाता।
नहीं कोई करिश्मा है, तुम्हारा हुस्न है ऐसा-
नज़र में डूबकर तेरे, हसीं इक ख़्वाब हो जाता।।

चले जब तीर नैनों से , हृदय के पार हो जाता
लचकती है कमर तो फिर, शहर तक़रार हो जाता।
झटकती ज़ुल्फ़ जो ऐसे, घटा घनघोर हो जैसे-
चले जब चाल मस्तानी, कसम से प्यार हो जाता।।

उड़े खुशबू तुम्हारी जब, पवन अलमस्त हो जाता,
अधर को चूमकर तेरे, अधर मदमस्त हो जाता।
हसीं इक ख़्वाब के जैसी, महकती बाग के जैसी-
नयन में डूबकर तेरे,....प्रियम भी मस्त हो जाता।।
©पंकज प्रियम

1 comment:

Admin said...

हर शेर में ऐसा फील आया जैसे कोई खूबसूरत फिल्म का सीन आंखों के सामने चल रहा हो। आपके अल्फ़ाज़ दिल को सीधा छूते हैं। आपका ये हुस्न का बखान बड़ा ही classy और नज़ाकत भरा लगा। एकदम old-school romantic feel आ गई।