Wednesday, December 11, 2019

746. प्याज

प्याज
कुण्डली
सर पे चढ़कर देख लो, बनता वो सरताज़।
बिन काटे आँसू बहे, कीमत सुन के प्याज़।
कीमत सुन के प्याज़, यहाँ सर है चकराता।
लाता पौवा आज, किलो भर था जो खाता।
कहे प्रियम कविराय, नहीं लाओ इसको घर।
खुद सड़ कर के ख़ाक! चढ़ेगा वो तेरे सर।।
©पंकज प्रियम

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