देश जला दोगे?
आंदोलन के नाम पे क्या, तुम सारा देश जला दोगे?
घुसपैठियों की ख़ातिर क्या, घर की नींव हिला दोगे?
शासन से मतभेद अगर है, आसन से तुम बात करो-
अफ़वाहों के भीड़तंत्र में, क्या लोकतंत्र झुठला दोगे?
गुंडागर्दी भेड़चाल में क्या, सबकुछ आग लगा दोगे?
गंगा जमुनी तहज़ीब भूला, खुद को आज दगा दोगे?
लोकतंत्र में आंदोलन की, होती लक्ष्मण रेखा है-
निर्दोषों का खून बहा क्या, रावण राज जगा दोगे?
संविधान के नाम पे क्या तुम संविधान ही तोड़ोगे?
औरों की ख़ातिर क्या तुम अपनो से मुँह मोड़ोगे?
सत्य अहिंसा गाँधीवादी, फ़क़त दिखावा क्या तेरा-
निर्दोषों का खून बहा कानून का सर भी फोड़ोगो?
©पंकज प्रियम
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