Thursday, December 19, 2019

762. देश है उसका

देश है उसका
लगाये आग नफऱत की, गलत परिवेश है उसका,
जलाये देश को जो भी, गलत उद्देश्य है उसका।
अगर सहमत नहीं है तो, ख़िलाफ़त वो करे बेशक़-
मगर जो देश द्रोही है, नहीं यह देश है उसका।
पृथक भाषा पृथक बोली, पृथक परिवेश है अपना,
पृथकता में सदा मिलजुल, यही संदेश है अपना।
नहीं हिन्दू नहीं मुस्लिम, नहीं कोई सिक्ख ईसाई-
करे जो प्यार भारत से,  उसी का देश है अपना।।
©पंकज प्रियम
19.12. 2019

1 comment:

Kamini Sinha said...

बहुत ही शानदार बात कही आपने ,बेहतरीन सृजन ,जय हिन्द