Sunday, December 15, 2019

753. अशांति

विरोध के नाम पर शांतिप्रिय लोगों अशांति
*********************************
©पंकज प्रियम

क्यूँ चुप है ममता? क्या यह मोब्लिंचिंग नहीं?
क्या मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं?

नागरिकता संसोधन बिल के विरोध को लेकर इन दिनों असम और पश्चिम बंगाल में जो कुछ भी हो रहा वह किसी भी सभ्य समाज और शांतिपूर्ण देश के अच्छा नहीं है। वक्त और जरूरत के हिसाब से सरकारें कानूनों के बदलाव करती रहती है और संविधान में अबतक काफी संसोधन हो चुका है। सरकार के फैसलों पर असहमति और विरोध प्रदर्शन भी स्वाभाविक है लेकिन जिस तरह की हिंसा और आगजनी इन दिनों बंगाल में दिख रही है वह चिन्ताजनक है। ख़ासकर मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका हिंसा पर उतारू है वह भारतीय नहीं हो सकता। ये सारे बांग्लादेशी घुसपैठिये और रोहिंग्या मुसलमान हैं। इनके साथ समाज को तोड़ने वाले कुछ राजनीतिक दल खुलेतौर पर कहा जाय तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का खुला समर्थन है। जिसके प्रान्त में इस तरह खुलेआम गुंडागर्दी हो रही हो, सरकारी मशीनरी को जलाया जा रहा हो, तोड़फोड़ कर बर्बाद किया जा रहा हो,  हिन्दू परिवारों को चुन चुनकर मारा जा रहा हो उस राज्य की मुख्यमंत्री तमाशबीन बनी हुई है। जो जय श्री राम के नारों पर भड़क जाती है, बीच सड़क पर रामभक्तों को लाठी लेकर दौड़ाने लगती है आज इन गुंडों के जघन्य अपराध पर भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है? यह सीधे सीधे उनका समर्थन नहीं तो क्या है। पूरा बंगाल जल रहा है लोग भयभीत है, रेल, सड़क,बाजार सबकुछ मुसलमानों के निशाने पर है कोई कन्ट्रोल नहीं है। सरकारी सम्पत्ति और निर्दोषों को निशाना बनाने का अधिकार किसने दिया? सबकुछ कैमरे के सामने लाइव घटना हो रही है लेकिन पुलिस एक भी अपराधी को पकड़ नहीं रही ह। आखिर क्यूँ?
जय श्री राम कहने पर जेल भेज देने वाली ममता की पुलिस क्या आज नामर्द हो गयी है जो इन गुंडों को पकड़ नहीं पा रही है? तबरेज़ अंसारी की मोब्लिंचिंग और हैदराबाद एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करनेवाली ममता को यहाँ निर्दोषों की मोब्लिंचिंग नहीं दिख रही है? आज सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार आयोग और तथाकथित बुद्धिजीवी ,अवार्ड वापसी गिरोह को आम जनता के साथ गुंडो की मोब्लिंचिंग नहीं दिख रही है। क्या इस मामले में स्वतः संज्ञान नहीं ले सकती। बंगाल और असम के हिंदुओं का खून, खून नहीं है क्या? आम जनता का मानवाधिकार नहीं है क्या?

नागरिकता बिल का विरोध करना है तो शांतिपूर्ण तरीके से करो न कौन रोका है? कोर्ट है जाओ ,लड़ो। अगर लगता है कि तुम्हारे साफ नाइंसाफी हुई है तो हक के लिए  आमरण अनशन करो लेकिन आम निर्दोष लोगों का खून मत बहाव यह आंदोलन नहीं बल्कि हिंसा है।
नागरिकता बिल में बिल्कुल ही स्पस्ट है कि दूसरे देशों के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी और भारत के किसी भी मुसलमान का इसमें कोई नुकसान नहीं है। फिर भी ममता बनर्जी, ओबैसी जैसे लोग मुसलमानों को भड़का कर देश को अशांत करने में लगे है।  जो गुंडागर्दी कर रहे हैं उन्हें इस कानून का कोई मतलब भी नहीं पता होगा लेकिन राजनयिक संरक्षण में लाठी तलवार लेकर गुंडागर्दी पे उतर आये हैं।
अगर ऐसे लोग शांतिप्रिय समाज है तो नहीं भारत को ऐसे लोग इन्हें यहाँ से खदेड़ कर बाहर करने के लिए और कड़े एनआरसी कानून की जरूरत हो तो सरकार लाये लेकिन ऐसे गुंडे और उत्पातियों के लिए इस देश मे कोई जगह नहीं होनी चाहिये। ममता बनर्जी इन्ही गुंडों के मदद से बंगाल में राज कर रही है । इन अवैध घुसपैठियों की बदौलत ही उसे वोट मिलता रहा है। अब इन्हें हटाने की बात पर वह बौखला गयी है और गुंडागर्दी की छूट दे रखी है। राज्य अशान्त हो और मुख्यमंत्री चुपचाप तमाशा देख रही है इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है।
जो लोग भी इस कानून के विरोध में गुंडागर्दी पर उतारू हैं उनसे सवाल है कि भाई जब किसी भारतीय मुसलमान को कोई नुकसान ही नहीं है उनकी नागरिकता पर कोई प्रश्न ही नहीं है तो फिर बवाल किस बात का? दो दिन देशों के सिख, ईसाई, हिन्दू ,बौद्ध और जैन के शरणार्थियों को जगह मिल जाती है तो इससे तुम्हे क्या तकलीफ है? जब भारत ने इतने सारे विदेशी आक्रमणकारियों को इस धरती पर जगह दे दी जिसके के कारण आज सोने की चिड़िया अपने ही पिंजरे में कैद रहने को विवश है तो भला जिनका मूल अधिकार है इस जमी पर उन्हें साथ रखने पर तुम्हे क्यूँ कष्ट हो रहा है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश जैसे कई देश सिर्फ इस्लाम धर्म के हैं वहाँ दूसरे धर्म के लोगों का जीवन नर्क है लेकिन हिंदुस्तान में किसी भी धर्म के लोगों के साथ कभी अन्याय नहीं होता। अपना हिस्सा अपनी जमीन सबकुछ तो हँसते-हँसते बांटा फिर काहे की नफऱत का बीज बो रहे हो। कहने को तो यहाँ कई लोग भारत में डर का माहौल दिखाते हैं लेकिन जिसे पसंद करते है वहाँ जाकर रहने की हिम्मत नहीं करते। अगर भारत में इतना ही खौफ़ है ,डर का माहौल है तो फिर किस लिए यहाँ रहना चाहते हो, चले जाओ जहाँ जन्नत नसीब होगी।
क्यूँ अमन शांति को भंग करने में लगे हो। केंद्र सरकार को चाहिए की जल्द से जल्द कार्रवाई करते हुए बंगाल और असम में राष्ट्रपति शासन लगाकर स्थिति को अपने  नियंत्रण में ले और सारे गुंडो को कठोर सजा दे ताकि आम भारतीय चैन की साँस ले सके।

No comments: