Tuesday, December 10, 2019

740. जिया मैंने

दुवाओं को जिया मैंने, ज़हर को भी पिया मैंने,
मिले जो ज़ख्म नफऱत के, मुहब्बत से सिया मैंने।
हवाओं से उलझकर भी, सदा उड़ता रहा नभ पे-
ग़ज़ल कविता कहानी से, तुझे चाहत दिया मैंने।।
©पंकज प्रियम

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