निर्भया काण्ड का मुख्य अपराधी नाबालिक फ़िरोज
एक बलात्कारी कैसे नाबालिक?
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पंकज प्रियम
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16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में हुए जघन्य निर्भया काण्ड के 6 गुनाहगारों में एक कि मौत हो चुकी है और चार को फाँसी मिलनी तय है लेकिन मुख्य गुनाहगार फ़िरोज बाल सुधार गृह से सबसे कम सज़ा पाकर बाहर निकल चुका है और खून से सने घृणित हाथों से दक्षिण भारत में किसी रसोई में खाना पका रहा है।
गैंगरेप का यह छठा आरोपी उस वक्त नाबालिग था. इसी शख्स ने निर्भया को बस में चढ़ने का आग्रह किया था. नतीजतन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था. दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद उसे रिहा कर दिया गया. दावा है कि गैंगरेप के दौरान निर्भया से सबसे ज्यादा दरिंदगी इसी नाबालिग ने की थी.
पुलिस जांच में सामने आ चुका है कि इस छठे नाबालिग दोषी ने पीड़ित लड़की को आवाज देकर बस में बुलाया था। यही नहीं, बस में बैठने के बाद सबसे कम उम्र के इसी आरोपी ने बाकी पांचों लोगों को गैंगरेप के लिए न सिर्फ उकसाया बल्कि इस पूरे घटनाक्रम का सूत्रधार भी बना। जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि इस नाबालिग लड़के ने गैंगरेप के दौरान पीड़ित लड़की पर कई जुल्म किए। इस लड़के ने ही दो बार बड़ी बेरहमी से लड़की से बलात्कार किया था। उसकी वहशियाना हरकतों की वजह से ही छात्रा की आंतें तक बाहर आ गई थीं। उस दौरान वो बहादुर लड़की जूझ रही थी, बचने के लिए आरोपियों को दांत से काट रही थी, लात मार रही थी लेकिन शायद उसने भी इस बात की कल्पना नहीं की थी कि लोहे की जंग लगी रॉड के इस्तेमाल से उसके साथ भयानक टॉर्चर होगा। निर्भया की आंतों को नुकसान पहुंचने की वजह से उसके कई बार ऑपरेशन करने पड़े। आखिरकार डॉक्टरों को उसकी आंतें ही काटकर बाहर निकालनी पड़ीं, पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया, उसे सिंगापुर इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन खुद को नाबालिग बताने वाले उस बर्बर आरोपी के आगे दवा और दुआ फेल हो गई और दर्द से लड़ते हुए पीड़ित ने दम तोड़ दिया।
हालांकि वह कुछ ही महीनों बाद 18 साल का होने वाला था लेकिन कोर्ट ने मौजूदा कानून के आधार पर उसे नाबालिग मानते हुए सजा देने की बजाए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया। यही वो केस है जिसके बाद नाबालिगों की उम्र 18 से घटाकर 16 कर दी गई। निर्भया के दोषियों में से यही एक चेहरा है जिसे आज तक देश ने नहीं देखा है। चौंका देने वाली बात ये है कि निर्भया के छह दोषियों में से इसे छोड़ कर सभी को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डाली गई समीक्षा याचिका पर फैसला आ चुका है, जिसमें चारों की फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है। इस मामले में दोषी नाबालिग अब 23 साल का हो गया है और आजाद है। कुछ दिन सुधार गृह में रहने के बाद दिसंबर 2016 में उसे मुक्त कर दिया गया। निर्भया मामले में दोषी नाबालिग दक्षिण भारत में कही कुक का काम कर रहा है। एक एनजीओ के अधिकारी ने बताया कि वह एक नए रूप में आ चुका है और यहां तक की उसने एक नया नाम भी रख लिया है। उसने दिल्ली में प्रेक्षणगृह में खाना पकाने का काम सीखा था।
दिल्ली गैंगरेप केस का नाबालिग दोषी सिर्फ तीन साल सजा काटने के बाद 20 दिसंबर को रिहा हो गया। उसकी रिहाई से देश के इंसाफ पसंद लोग दुखी हैं तो निर्भया की मां और पिता की आंखों से आंसू बह रहे हैं। वे टीवी चैनलों से कई बार कह चुके हैं कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ। 17 साल 6 महीने की उम्र में 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत विहार में निर्भया के साथ जिस शख्स ने सबसे ज्यादा बर्बरता की थी, वो सबसे कम सजा पाकर छूट गया। मीडिया में बात सामने न आई होती तो शायद दिल्ली सरकार की ओर से उसे नई जिंदगी शुरू करने के लिए 10, 000 रुपए और एक सिलाई मशीन भी मिल गई होती।
न आई होती तो शायद दिल्ली सरकार की ओर से उसे नई जिंदगी शुरू करने के लिए 10, 000 रुपए और एक सिलाई मशीन भी मिल गई होती और उसकी रिहाई में दिल्ली सरकार की बड़ी भूमिका रही है। यही नहीं तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी और मानवाधिकारी संघटनों ने भी उसको बचाने में अहम योगदान दिया।
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