Friday, December 13, 2019

751. हालात लिखता हूँ

बात लिखता हूँ
दिले जज़्बात लिखता हूँ, सही हालात लिखता हूँ,
नज़र जो भी हक़ीकत हो, वही दिनरात लिखता हूँ।
ख़ता मेरी यही इतनी, कलम को छेड़ता लेकिन-
जो कहने से सभी डरते, वही मैं बात लिखता हूँ।।
©पंकज प्रियम

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