Sunday, March 4, 2018

उड़े रे चुनरिया-2

चुनरिया-2
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होलिया के संगे देखीं
बीत गेलेय फगुनवा
ऋतुराज वसन्त संगी
झुमय चैत महिनवा।
चले लागल हवा कइसन
               उड़े रे चुनरिया।
होलिया के गीत अइसन
               लागे रे गुजरिया।
लाले लाले सुंदर बड़ी
आय गेलेय नीम पतवा।
खाहिं तनी भुंइज के
तीते तीते पतवा।
बड़ी बेस साफा होतो
भीतर खून शरीरवा
अमवा के मंजर में
आवे लागल टीकोलवा।
चले लागल हवा कइसन
           उड़े रे चुनरिया।
होलिया के गीत अइसन
          लागे रे गुजरिया।
खट्टे मीठे पाके लागल
लामे लाम इमलिया।
बड़ी बेस चटनी एकर
खाहिं रे सँवरिया।
चले लागल हवा कइसन
               उड़े रे चुनरिया।
होलिया के गीत अइसन
               लागे रे गुजरिया।
©पंकज प्रियम।
3.3.2018

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