Thursday, March 15, 2018

उम्मीद




बड़ी उम्मीद से यूँ लहरा के
इसबार फिर पार उतरा के
दिल जो साहिल पे आया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

बेजान पत्थरों से टकरा के
बार बार ये दिल बिखरा के
कभी खामोश लौट आया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

खो गयी थी, जो उम्मीदें कहीं
रो रही थी जो तन्हा बैठी कहीं
फिर उन्ही उम्मीदों ने अपना
आँचल एकबार लहराया है।

सांसों में जी रही थी जिंदगी
फिर उन्ही उम्मीदों ने, सपना
दिखाकर, दिल धड़काया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

छोड़ दिया था, तेरे साथ ही
तुझे पाने की सारी उम्मीद,
फिर से वो उम्मीद जगाया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

लगा रखा है फिर से उम्मीद
चाहत तेरे रूह तलक जाना
मन में ये उमंग जगाया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

तू छोड़!नही छोड़ेंगे उम्मीद
मुहब्बत की हद गुजर जाना
वर्षो बहुत इंतजार कराया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

नई उम्मीदें जगी,नवजीवन की
कदमताल उठी,नवसृजन की
नवयुग का नवश्रृंगार भाया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

संग चल नया इतिहास लिखेंगे
उम्मीदों की हम नई आस बनेंगे।
परिवर्तन का नया दौर आया है
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।

जात-पात रंग-भेद मिटा जाएंगे
हर दिल में मुहब्बत जगा जाएंगे
तुम ने फिर  विश्वास दिलाया है
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।
..पंकज प्रियम
15.03.2018





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