रंग बदलते इंसान
**रंग बदलते इंसान देखिए
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मन्दिरों में मुफ्त मिलते,भगवान देखिए
अपने ही घरों में बिकते,इंसान देखिए।
भगवान बनने की, ख्वाइश लिए होते
यहाँ आदमी को बनते शैतान देखिए।
इंसाफ की ऊंची कुर्सी में,बैठे लोगों का
चंद सिक्कों में ही डोलते,ईमान देखिए।
मंहगाई तो मुफ्त ही,बदनाम है यहाँ तो
रोटी से बहुत सस्ती ,यहाँ जान देखिए।
बारिश को तरसते,बादल पे ही बरसते
जँगल को काटकर बनते,मकान देखिए।
अनाज की किल्लत पे, कैसे सब रोते
खेतों को पाटकर उगते,दूकान देखिए।
कर्ज लेकर कोई, देश छोड़कर जाते
कर्ज में फाँसी लटकते,किसान देखिए।
मौसम तो बस यूँ हीं, बदनाम है प्रियम
गिरगिट से रंग बदलते,इंसान देखिए।
©पंकज प्रियम
29.3.2018
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