Monday, March 19, 2018

मां पिता जीवन है!

मातु-पिता जीवन है
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मां होती है,त्याग की मूरत
पिता साक्षात, समर्पण हैं।
बच्चों के ही,लालन पालन
में गुजरा, सारा जीवन है।
बच्चों को दे, वस्त्र भोजन
अगाध प्रेम, आकर्षण है
खुद फ़टी धोती-साड़ी में
करते जीवन निर्वहन हैं।
सपने पूरे हों ,बच्चों की
करते स्वप्न ,खुद तर्पण हैं।
खुद से भी ,बड़ा करने की
चाहत, पिता का ही मन है।
नहीं,किसी दिन पे आश्रित
वो तो, नवजीवन सृजन हैं।
डे कल्चर है, बाजार सृजित
मातु-पिता, बसे कण कण हैं।
दिल से बस ,इज्जत कर लें
यही इनका सम्मान,वंदन है।
मंहगे गिफ्टों, की नहीं चाहत
बच्चों का साथ ही,प्रेमाश्रम है।
इनके घर को,बस घर रहने दें
फिर नहीं जरूरी,वृद्धाश्रम है।
हर रोज होगा, फिर इनका दिन
हर घड़ी इनका,अभिनन्दन है।
मां पड़ी है,मृत्यु शैय्या पर
बेटा बहु तिजोरी खंगाला है।
पिता लेता ,सांस आखिरी
बेटा वसीयत ढूंढ निकाला है।
मां की हत्या ,कर देता बेटा
फिर कैसा डे? सेलिब्रेशन है।
बस तुम उनके पास रह लो
फिर हर दिन ,सेलिब्रेशन है।
सुप्रभातम
#पंकज प्रियम
19.3.2018

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