Thursday, March 15, 2018

ग़ज़ल-मेरा तसव्वुर

ग़ज़ल

मेरा तसव्वुर,उनका फ़साना है
मेरा अश्क़,मुहब्बत दीवाना है।

यादों में ही, गुजार ली जिंदगी
मेरी तुरबत पे,उन्हें ही आना है।

इन सांसों ने, यूँ रख ली जिंदगी
मौत तो उनका, चाहे परवाना है।

धड़कनों ने रची है, साजिश ऐसी
मेरा दिल! और उनका निशाना है!

इश्क़ कहां है, इतना भी आसां
दरिया आग का,पार कर जाना है।

वक्त पे, किसका जोर है 'प्रियम'
कल मेरा,आज उनका जमाना है।
  - पंकज प्रियम
 15.3.2018
         

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