Tuesday, March 20, 2018

नही मरते कवि

नहीं मरेंगे कभी
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गुजर गए,बड़े कवि
"अभी बिल्कुल अभी"
देखो उनकी याद में
 "ज़मीन पक रही है"
आओ जरा करीब
"यहाँ से देखो"
साहित्य ,रो रहा है
जैसे कि हुआ हो
"अकाल में सारस"
उनकी रचनाएं
 "उत्तर कबीर और
अन्य कविताएँ"
 "बाघ" से दहाड़ते
"तालस्ताय और
साइकिल" भी
हुआ पँचर,
कवि
केदारनाथ की
विरह पीड़ा में।
यादों में होंगे
अमर वो कवि
नही मरेंगे,कभी
केदारनाथ कवि।
©पंकज प्रियम
20.3.2018

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