हमारी जिंदगी का भी
अलग अंदाज है साकी
कभी उल्फ़त में जीते हैं
कभी मुहब्बत में मरते हैं।
हमारी आशिक़ी का भी
अलग मिज़ाज है साकी
कभी फूलों को ठुकराते
कभी कांटों से लिपटते हैं।
हमारी चाहतों का भी
अलग अंदाज है साकी
सबकी मुस्कुराहटों पे
खुद हंसी भूल जाते हैं।
हमारी बन्दगी का भी
अलग अंदाज है साकी
औरों के घर उजाले को
खुद के घर आग लगाते हैं।
पंकज प्रियम
13.3.2018
अलग अंदाज है साकी
कभी उल्फ़त में जीते हैं
कभी मुहब्बत में मरते हैं।
हमारी आशिक़ी का भी
अलग मिज़ाज है साकी
कभी फूलों को ठुकराते
कभी कांटों से लिपटते हैं।
हमारी चाहतों का भी
अलग अंदाज है साकी
सबकी मुस्कुराहटों पे
खुद हंसी भूल जाते हैं।
हमारी बन्दगी का भी
अलग अंदाज है साकी
औरों के घर उजाले को
खुद के घर आग लगाते हैं।
पंकज प्रियम
13.3.2018
No comments:
Post a Comment