क्या लिखूं मैं....?
एक अरसा हो गया
जब बहुत लिखा था।
जिंदगी की आपाधापी
में खो गया कुछ ऐसा।
खबरों की भागदौड़ में
अपनी खबर भूल गया।
ब्रेकिंग न्यूज़ की जहाँ में
मत पूछो. यूँ उलझ गया।
विसुअल और दो बाईट
लेते हुई जिंदगी यूँ टाइट।
चित्र और शब्दों की हेराफेरी
इसी में सिमटी है दुनियादारी।
कीबोर्ड की रोज खटपट में
सूख गयी यूँ लेखनी हमारी।
दिनभर की भाग दौड़ में
कितना दर्द है क्या कहूँ मैं ?
क्या?कौन?कब?कहां? किसने?
कैसे? छः ककारों में फंसा हूँ मैं।
मर गयी कैसी रचना हमारी
किसे कैसे वो जख्म दिखाऊ मैं!
अपनी कहानी.अपना फ़साना ..
कैसे कहां और क्या लिखू मैं ....?
.....✍पंकज प्रियम
14.3.2018
एक अरसा हो गया
जब बहुत लिखा था।
जिंदगी की आपाधापी
में खो गया कुछ ऐसा।
खबरों की भागदौड़ में
अपनी खबर भूल गया।
ब्रेकिंग न्यूज़ की जहाँ में
मत पूछो. यूँ उलझ गया।
विसुअल और दो बाईट
लेते हुई जिंदगी यूँ टाइट।
चित्र और शब्दों की हेराफेरी
इसी में सिमटी है दुनियादारी।
कीबोर्ड की रोज खटपट में
सूख गयी यूँ लेखनी हमारी।
दिनभर की भाग दौड़ में
कितना दर्द है क्या कहूँ मैं ?
क्या?कौन?कब?कहां? किसने?
कैसे? छः ककारों में फंसा हूँ मैं।
मर गयी कैसी रचना हमारी
किसे कैसे वो जख्म दिखाऊ मैं!
अपनी कहानी.अपना फ़साना ..
कैसे कहां और क्या लिखू मैं ....?
.....✍पंकज प्रियम
14.3.2018
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