सारे जहां की आओ मुस्कान बन जाएं हम
नई उम्मीद,एक नया अरमान बन जाएं हम
हर मौसम में हमनशीं फूल खिल जाएं हम
पतझड़ के आँगन में वसन्त बन जाएं हम।
माना कि जिंदगी में,मुश्किलें हैं बहुत
दर्द हर किसी के दिल में,छुपा है बहुत।
पर कर प्रभातवंदन,मन विश्वास जगाएं हम
रोज नई उम्मीदों का,समंदर लहराएं हम।
पतझड़ के आँगन......
माना कि समंदर में आती लहरें हैं बहुत
जाना तूफ़ां भी गुजरती राहों में हैं बहुत
फिर भी कोई मुश्किल नही जाना उसपार
एक दूजे की कश्ती पतवार बन जाएं हम
पतझड़ के आँगन......
थम जाएंगी लहरें सारी,तूफानों पे हम भारी
कदम से कदम चल के सीख लें दुनियादारी
आओ संग रोज साहिल से टकरा जाएं हम
संग यूँ ही रोज तूफानों को बिखरा जाएं हम।
पतझड़ के आँगन......
#प्रियम
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