Saturday, March 17, 2018

नया सवेरा

ये रात गुजर जाने दो
ये बात बिसर जाने दो
कल नया सवेरा आएगा
सूरज भी रंग दिखाएगा।

शबनमी बरस जाने दो
चकोर को तरस जाने दो।
कल चाँद निकल आएगा
भर रात चाँदनी बरसाएगा।

फिर धरती, धधक जाने दो
जंगल पलाश ,दहक जाने दो।
सखुआ शीशम,खिल जाएगा
सरहुल में, दिल मिल जाएगा।

पुराना साल ,गुजर जाने दो
नव संवत्सर ,आ जाने दो
मन उमंग, यूँ खिल जाएगा
दिल तरंग,यूँ मिल जाएगा।

©पंकज प्रियम
17.3.2018

विक्रम संवत 2074 की अंतिम रात और नव संवत्सर 2075 की अग्रिम शुभकामनाएं एवं वासन्ती नवरात्र की हार्दिक बधाई!

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