मेरी बेटी मेरा अभिमान
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चला है ये अभियान बहुत
मेरी बेटी मेरा,अभिमान बहुत
महज नारा न इसे, बन जाने दो
बेटी होती है अनमोल बहुत
धरती पे उन्हें तो, ढल जाने दो।
अपनी कोख बेटी, पल जाने दो।
कर दी कोख,कब्रिस्तान बहुत
बनाया है गर्भ ,श्मशान बहुत
पेट में अब नई,पौध उग जाने दो ।
करते रोज ही भ्रूण हत्या बहुत
घृणित सोच,अब जल जाने दो।
अपनी कोख बेटी, पल जाने दो।
खुल गए हैं,दूकान बहुत
करते लिंग पहचान बहुत
शटर इनके अब तो,गिर जाने दो।
मिल जाएंगे ,सम्मान बहुत
घर के आँगन,कली खिल जाने दो।
अपनी कोख बेटी, को पल जाने दो
घट गए है,अनुपात बहुत
हो रहे अब,उत्पात बहुत
आधी आबादी, नही घट जाने दो
मिल जाएंगे तब ,हाथ बहुत
बेटा-बेटी का, भेद मिट जाने दो।
अपनी कोख बेटी, को पल जाने दो।
बेटी देती, सम्मान बहुत
बेटी होती,अभिमान बहुत
अब तो अभियान,बढ़ जाने दो
करेगी जीवन,निर्माण बहुत
बेटी को स्वाभिमान,बन जाने दो।
अपनी कोख बेटी, को पल जाने दो
**पंकज प्रियम
24.3.2018
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