सुनो इंडिया!
सुनो इंडिया! यह कैसा हिन्दुस्तान है?
सरहद पे रोज खेत हो रहा जवान है
और जरा देखो तो,छोड़कर खेतों को
शहर की सड़कें,जोत रहा किसान है।
सुनो इंडिया!क्या अब यही पहचान है?
कोई तो कर्ज़ लेकर देश छोड़ जाता है
तो कोई कर्ज लेकर देह छोड़ जाता है
कर्ज़ में पिसता गरीब और किसान है।
सुनो इंडिया!क्या यही हमारी शान है
कैसी सियासत तेरी, कैसा अभिमान है
खेतों में ही मिल जाता गर हक इनको
गांव छोड़के शहर,क्यूं आया किसान है।
सुनो इंडिया! क्या अब भी अनजान है
बैंकों की कर्जदारी,होती एक तरफदारी
घिस जाती चप्पल,ऐसी चक्कर सरकारी
खेतो के आंदोलन से,पूरा भरा मैदान है।
© पंकज प्रियम
12 मार्च 2018
सुनो इंडिया! यह कैसा हिन्दुस्तान है?
और जरा देखो तो,छोड़कर खेतों को
शहर की सड़कें,जोत रहा किसान है।
सुनो इंडिया!क्या अब यही पहचान है?
कोई तो कर्ज़ लेकर देश छोड़ जाता है
तो कोई कर्ज लेकर देह छोड़ जाता है
कर्ज़ में पिसता गरीब और किसान है।
सुनो इंडिया!क्या यही हमारी शान है
कैसी सियासत तेरी, कैसा अभिमान है
खेतों में ही मिल जाता गर हक इनको
गांव छोड़के शहर,क्यूं आया किसान है।
सुनो इंडिया! क्या अब भी अनजान है
बैंकों की कर्जदारी,होती एक तरफदारी
घिस जाती चप्पल,ऐसी चक्कर सरकारी
खेतो के आंदोलन से,पूरा भरा मैदान है।
© पंकज प्रियम
12 मार्च 2018
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