ऐब!
बहुत ऐब है,दुनिया में
कब,कहां ,किसको देखूं
किस, किसको छोडूं मैं?
बहुत फरेब है दुनिया में
किसपे भरोसा करूँ
किसको दुश्मन कहूँ मैं?
बहुत लोग हैं,दुनिया मे
दिल के जज्बात लिखूँ
या लोगों की बात सुनूँ मैं?
बहुत ऐब है, खुद में
पहले स्वयं सुधारूं
या दुनिया को बदलूँ मैं?
...पंकज प्रियम
28.3.2018
बहुत ऐब है,दुनिया में
कब,कहां ,किसको देखूं
किस, किसको छोडूं मैं?
बहुत फरेब है दुनिया में
किसपे भरोसा करूँ
किसको दुश्मन कहूँ मैं?
बहुत लोग हैं,दुनिया मे
दिल के जज्बात लिखूँ
या लोगों की बात सुनूँ मैं?
बहुत ऐब है, खुद में
पहले स्वयं सुधारूं
या दुनिया को बदलूँ मैं?
...पंकज प्रियम
28.3.2018
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