Friday, March 16, 2018

जीवन युद्ध

अपना युद्ध

जब लोग आपके विरुद्ध एकसाथ जुटने लगें
समझ लीजिए की आप उनसे ऊपर उठने लगे।

कुरुक्षेत्र में अकेले, कोई वीर कहाँ ललकारा था
घेरकर बुजदिलों ने, वीर अभिमन्यु को मारा था।

सबको लड़ना पड़ता है स्वयं ही जीवन का युद्ध, 
दुश्मन बन खड़ा हो अपना, रण में चाहे विरुद्ध.

समय चलता अपनी गति से,कौन रोक पाया है?
वक्त के साथ कदमताल करे, वही पार पाया है।

तूफानों का तो काम , सबकी राह रोक लेना है
करता है कर लेने दो,हमें तो तूफ़ां चीर जाना है।

जब सारे दुश्मन,आपस में हाथ मिलाने लगे
समझ लीजै की वो सब, अब खौफ खाने लगे।

भीड़ से कहाँ!कभी  कोई जंग जीत पाया है!
कौरव सेना को अकेले ही, केशव ने हराया है।
©पंकज प्रियम
16.3.2018
#प्रियम

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