Sunday, March 4, 2018

चाहत समन्दर तुम




सुबह की धूप जैसी तुम
जवानी रूप जैसी तुम
तुम्हे देखूं तो जी भर लूं
ना देखूं तो मर जाऊं
मेरी सांसो की सरगम तुम
मेरे बातों में  हरदम तुम।
तुझे चाहूं की मैं ऐसे
रगों में खून हो जैसे
दोपहर की छांव जैसी तुम
हर पहर की ठाँव जैसी तुम।
तेरी बातों में बस जाऊं
तेरी गीतों में रस जाऊं
गोधूलि लालिमा सी तुम
निशा की कालिमा सी तुम
तेरे नींदों में खो जाऊं
तेरी बांहों में सो जाऊं।
बहकते ख़्वाब जैसी तुम
महकते गुलाब जैसी तुम।
तेरे होठों को छू जाऊं
तेरे गालों को चूम जाऊं
मुहब्बत की लहर सी तुम
दिल चाहत समंदर तुम
तेरे लहरों में खों जाऊं
तेरे मौजों में सो जाऊं।
मेरी हर बात जैसी तुम
मेरे जज़्बात जैसी तुम।









#प्रियम
4.3.18

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