गज़ल
मेरी चाहत को यूँ हवा दीजिये
दर्द-ए-दिल की दवा कीजिये।
क्या पता कल रहें न रहें, मेरी
यादों को दिल मे बसा लीजिये।
छोड़िए दुश्मनी की वजह सारी
जो चाहे दिल वो सजा दीजिये।
हूँ मुद्दतों से प्यासा इश्क़ में तेरा
होठों से मोहब्बत पिला दीजिये।
मौत की बांहों में न सो जाऊं कहीं
अपनी आगोश में ही सुला दीजिये
बन जाए हंसी नज़्मों गज़ल मेरी
मेरे लफ़्जों को यूँ सदा दीजिये।
जल न जाए तपिश में वदन सारी
मेरे इश्क़ में ही अब नहा लीजिये।
©पंकज प्रियम
4.3.2018
मेरी चाहत को यूँ हवा दीजिये
दर्द-ए-दिल की दवा कीजिये।
क्या पता कल रहें न रहें, मेरी
यादों को दिल मे बसा लीजिये।
छोड़िए दुश्मनी की वजह सारी
जो चाहे दिल वो सजा दीजिये।
हूँ मुद्दतों से प्यासा इश्क़ में तेरा
होठों से मोहब्बत पिला दीजिये।
मौत की बांहों में न सो जाऊं कहीं
अपनी आगोश में ही सुला दीजिये
बन जाए हंसी नज़्मों गज़ल मेरी
मेरे लफ़्जों को यूँ सदा दीजिये।
जल न जाए तपिश में वदन सारी
मेरे इश्क़ में ही अब नहा लीजिये।
©पंकज प्रियम
4.3.2018
No comments:
Post a Comment