Monday, May 7, 2018

319.बेवफ़ा पाया

बेवफा पाया

की हमने वफ़ा,उनसे जफ़ा पाया
करीब गया तो उन्हें बेवफ़ा पाया।

पूछा जो दिल का राज़ उनसे तो
हर बार उन्हें हमने सकपका पाया।

बहुत दिल से लगाया था उन्हें मगर
उनकी आंखों में हमेशा गिला पाया।

करीब जाने की कोशिशें की मगर
दिलों के दरमियां यूँ फासला पाया।

मुहब्बत की राह में तुम चले प्रियम
हरबार मगर उनसे तुमने दगा पाया।
© पंकज प्रियम
7.5.2018

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