Tuesday, May 22, 2018

345.देना पड़ेगा

345.देना पड़ेगा
यहां नहीं मगर,वहां तो कहना पड़ेगा
हर सवाल का तो जवाब देना पड़ेगा।
तेरे दर्द को आंखों से बहाया जो हमने
आँसू के कतरे का हिसाब देना पड़ेगा।
तेरे इश्क़ में लिख दिया जिंदगी हमने
उसी जिंदगी का हिसाब देना पड़ेगा।
तेरी यादों की लिहाफ़ में गुजारी रातें
सारी रातों का हिसाब तो देना पड़ेगा।
मेरे बगैर कैसे जीवन है गुजारा तुमने
हरेक पल का हिसाब तो देना पड़ेगा।
तेरे हर दर्द का ख्याल रखा था जिसने
मर्ज की दवा तो प्रियम को देना पड़ेगा।
©पंकज प्रियम
22.5.2018

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