345.क्या बात करती है!
तोड़कर सारे रिश्ते,तू क्या बात करती है
भूलकर सारे लम्हें,तू किसे याद करती है
भूलकर सारे लम्हें,तू किसे याद करती है
कैसे करेगा यहाँ कोई तुझपे अब भरोसा
फ़रेबी नजरों से अब मुलाकात करती है।
फ़रेबी नजरों से अब मुलाकात करती है।
मत मांग दुवाएँ किसी के लिए अब यहाँ
दिल तोड़कर खुदा से फरियाद करती है।
दिल तोड़कर खुदा से फरियाद करती है।
हसीं ख़्वाब जो था तुमने मुझे दिखाया
याद करके आँखे मेरी बरसात करती है।
याद करके आँखे मेरी बरसात करती है।
तब तलक खुद मुहब्बत उसने जगाया
अब मेरे जज्बातों पे सवालात करती है।
अब मेरे जज्बातों पे सवालात करती है।
अपने लबों पे मेरा ही नाम तब सजाया
अब मुझे ही बदनाम दिनरात करती है।
अब मुझे ही बदनाम दिनरात करती है।
उनकी जफ़ाओं को समझा नहीं प्रियम
अब तो दुश्मनों से वो प्रतिघात करती है।
©पंकज प्रियम
23.5.2018
अब तो दुश्मनों से वो प्रतिघात करती है।
©पंकज प्रियम
23.5.2018
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