335. दिल की बात
आज मैं भी एक गीत सुनाता हूँ
अपने दिल की मैं बात बताता हूँ।
अपने दिल की मैं बात बताता हूँ।
मैं एक इंसान हूँ कोई रोबोट नहीं
सियासत में बिकता मैं वोट नहीं।
सियासत में बिकता मैं वोट नहीं।
कबतक खामोश यूँ ही बैठा रहूँ
आदमी हूँ, कागज का नोट नहीं।
आदमी हूँ, कागज का नोट नहीं।
दिल मेरा भी तो यूँ धड़कता है
मेरी रगों में भी लहू फड़कता है।
मेरी रगों में भी लहू फड़कता है।
अपनों की बेरुखी से दर्द होता है
कोई कीचड़ उछाले तो ये रोता है।
कोई कीचड़ उछाले तो ये रोता है।
जहां की रुसवाइयों से डरता नहीं
मुफ़्त की बदनामियों से मरता है।
मुफ़्त की बदनामियों से मरता है।
दुश्मनों के करम का कोई गम नहीं
दोस्तों के सितम से जख़्म होता है
दोस्तों के सितम से जख़्म होता है
निस्वार्थ मुहब्बत ही नियत है मेरी
दिल में रखता ,मैं कोई खोट नहीं।
दिल में रखता ,मैं कोई खोट नहीं।
रिश्ते तोड़ना, मेरी फितरत नहीं
सम्बन्धों पे करता, मैं चोट नहीं।
सम्बन्धों पे करता, मैं चोट नहीं।
हर रिश्ते को मैं ताउम्र निभाता हूँ
मुहब्बत के गीत हमेशा गाता हूँ।
मुहब्बत के गीत हमेशा गाता हूँ।
©पंकज प्रियम
18.5.2018
18.5.2018
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