Tuesday, May 22, 2018

343.दीवानी है

343.दीवानी है
मेरे दिल में उतरने की तूने तो ठानी है
जो डूबे तो मत कहना,दिल तूफानी है।
इश्क़ का लहराता समंदर है ये दिल मेरा
मदहोश करती यहां मौजों की रवानी है।
है अगर जुनून मुहब्बत में जल जाने का
पार उतर जाओ,ये दहकती जवानी है।
लिख दिया मुहब्बत का अफ़साना हमने
हर लफ्ज़ कहती जिसमें तेरी कहानी है।
भले आज तुम,हमें छोड़कर चले जाना
मिटाओगे कैसे,जो दी हमने निशानी है।
किस्सा तेरे इश्क़ का यूँ मशहूर हो गया
पूरी दुनिया ही हुई प्रियम की दीवानी है।
©पंकज प्रियम
21.5.2018

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