निभा ले
भले तू नफरतों का बाज़ार सजा ले
किया है जो वादा कभी तो निभा लें।
फिर तुम्हें हो जायेगी मुहब्बत हमसे
दिल में जमे वो सारे गुबार तो हटा ले।
अपनी झील का कमल बनाया हमने
और तूने मेरे ही नाम पे कीचड़ उछाले।
तोड़ ही दिया जब सारी कसमों को तूने
मुझे मारने की अब तू कसम ही खा ले।
बातों का सिलसिला तो खत्म किया तूने
जरा मेरी यादों से भी तू खुद को हटा लें।
©पंकज प्रियम
13.5.2018
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