Friday, May 25, 2018

351.क्यों है

क्यों है।
सबने पाली यहाँ इतनी हसरतें क्यों है?
हर दिल में बसी इतनी नफ़रतें क्यों है।
चंद खुशियों की तलाश में भटक रहे
अपनों से ही हुए इतने बेगाने क्यों है।
सबको तो नहीं मिलता मुकद्दर यहाँ
हासिल करने की चाह रखते क्यों है।
मौत तो हर किसी का मुक़म्मल यहाँ
न जाने फिर मौत से सब डरते क्यों हैं।
जिंदगी का कोई कहाँ ठिकाना यहाँ
जीने के लिए यहाँ सब मरते क्यों है।
हर किसी का अपना है मुकद्दर यहां
फिर प्रियम,सबसे लोग जलते क्यों हैं।
©पंकज प्रियम
25.5.2018

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