Friday, May 4, 2018

307.ग़ज़ल बन जाओ न

देखे तुमने शूल बहुत
देखे हमने,फूल बहुत
तुम मेरा, कमल बन जाओ ना!
सुन ली हमने, शेर बहुत
तुम मेरा ग़ज़ल बन जाओ ना!
मैं हूँ तेरा, इश्क़ मुहब्बत
तू है मेरी,मुश्क- इबादत।
तुम अपनी चाहत, कह जाओ ना!
देखी हमने,बहुत रिवायत
तुम मेरा रवायत बन जाओ ना।
चंदा को तरसे,चकोर बहुत
जँगल नाचे,सुंदर मोर बहुत
तुम मेरे आँगन,निकल जाओ ना
उस कुमुद में,दाग बहुत
तुम मेरा चाँद, बन के आओ ना।
घूमी दुनियां ,सारी बहुत
देखी दुनियादारी, बहुत।
अब मेरे शहर ,तुम आ जाओ ना!
घर बनेगा ,तब स्वर्ग बहुत
अब मेरे घर ,तुम बस जाओ ना!
मैं हूँ तेरे,दिल का राजा
तू है मेरे ,सपनों की रानी
तुम मेरे महल, बस जाओ ना।
लब रहते ,खामोश बहुत
आंखों से पहल, कर जाओ ना
--पंकज प्रियम
22.3.2018

No comments: