Thursday, May 24, 2018

348.मोबाइल

मोबाइल।

मोबाइल से फासले तो मिटने लगे
स्मार्ट हुआ तो लोग सिमटने लगे।

एक साथ भी लोग तन्हा रहने लगे
एक कमरे में भी,अलग रहने लगे।

नजरें तो मिलाकर बात करते नहीं
मोबाइल में ही तो सर झुकने लगे।

ठहाकों की अब गूंज होती नहीं
इमोजी में ही तो लोग हंसने लगे।

गप्पें भी अब यहाँ तो होती नहीं
चुपचाप बैठे सब चैट करने लगे।

इस कदर सेल्फिश बनाया इसने
सेल्फ़ी में ही सब खुश रहने लगे।

आदमी को ऐसा कर दिया इसने
मोबाइल हमसे स्मार्ट बनने लगे।
©पंकज प्रियम
24.5.2018

No comments: