341.बातें
कल करती थी वो मीठी बातें
अब करती है वो झूठी बातें।
क्या सुलझाएगी वो ये रिश्ते
अब करती है वो उलझी बातें।
तेरे ख्वाबों में ही मैं रहता था
भूल गयी क्या वो सारी बातें।
मेरा ही नाम हमेशा जपते थे
याद नहीं क्या वो प्यारी बातें।
नफ़ा नुकसान में तौली चाहत
अब करती है वो बाजारी बातें।
वादे तो सारे तोड़ दिया है उसने
अब करती है वो सरकारी बातें।
बात बात पे अब चोटिल करती
अब करने लगी है दो धारी बातें।
अब तो तौबा कर लो तुम प्रियम
अब करने लगी वो कटारी बातें।
©पंकज प्रियम
20.5.2018
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