Thursday, May 31, 2018

354.ऐतबार

354.एतबार
जिन्दगी की तरह मुझसे तू प्यार कर
एक पल ही सही मुझपे एतबार कर।
चार दिनों की तो फ़क़त जिंदगानी है
कर ले मुहब्बत,न कभी तकरार कर।
हर लम्हा ये जिंदगी,कहती कहानी है
बढ़ा ले कदम,न कभी तू इंतजार कर।
तेरे ही इश्क़ में लिख दी मैंने जवानी है
मैंने तो कर दिया,तू जरा इकरार कर।
तेरी हर धड़कन,प्रियम की दीवानी है
मान ले दिल की तू ,न यूँ इनकार कर।
©पंकज प्रियम
28.5.2018

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