Friday, May 4, 2018

309.दोस्ती

दोस्ती 


खुली आँखों का ख़्वाब है दोस्ती
ख्वाबों का हंसी गुलाब है दोस्ती।
बन्द पलकों से भी जो सब पढ़ ले
दिलों की खुली किताब है दोस्ती।

बचपन का नया खिलौना है दोस्ती
घर आँगन का..... कोना है दोस्ती
जिंदगी भी जो अपनी सारी कर दे
बन्दगी में स्वयं.... खोना है दोस्ती

कर्ण जीवन सा समर्पण है दोस्ती
कृष्ण सखा सा सारथी है दोस्ती
राधा के धुन में जो मुरली बाजे
सुदामा तो कभी श्याम है दोस्ती।

हरेक सवाल का जवाब है दोस्ती
बेहिसाब सा लाज़वाब है दोस्ती।
दिल की सारी बात ही जो पढ़ ले
वो मुहब्बत ही बेपनाह है दोस्ती।

कण-कण फूल का पराग है दोस्ती
क्षण-क्षण प्रेम का नुराग है दोस्ती
जग रौशन करता ही जो खुद जले
वो प्रकाश करती चिराग है दोस्ती।

©पंकज प्रियम

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