Saturday, May 26, 2018

352. जलता है

जुनूँ हर दिल में पलता है
सितारे तोड़ लाने का जुनूँ हर दिल में पलता है।
मगर सितारों से भी दूर तलक ये दिल ढलता है।
अपनी मुहब्बत से भी झूठी कसमें जो खाता है
चाँद सितारे तोड़के लाने की बात वही करता है।
सच्ची मुहब्बत के सिवा नहीं है,कुछ तो पास मेरे
इश्क़ की रौशनी में दिल मेरा जुगनू से जलता है।
जो कह दो अगर,मैं भी तो चाँद तोड़ लाऊं मगर,
टूटते चाँद को देखना,मेरे ही दिल को खलता है।
जो कह दो अगर,इक ख़्वाब मैं भी सजा लूं मगर
हो न सके जो पूरे ख़्वाब तो दिल बड़ा सालता है।
मुहब्बत की बाज़ी लगाकर देख ली सबने प्रियम
जो हार गए दिल अपना,बैठकर हाथ मलता है।
©पंकज प्रियम
26.5.2018

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