फ़ैशन का बलात्कर
कपड़ों का भी बलात्कार होते देखा है
फैशन में उन्हें शर्मसार होते देखा है।
कैसे वो सम्भालेंगे किसी की इज्ज़त
जिनकी अस्मत तार तार होते देखा है।
जिन फ़टे कपड़ों को फेंक दिया करते
हमने उसे बड़े मॉल में बिकते देखा है।
लोग कपड़े पहनते हैं तन छुपाने को
बदन दिखाते कपड़ों का दौर देखा है।
कोठे तो मुफ़्त में ही बदनाम है सनम
हमनें सड़कों में बिकता जमीर देखा है।
ग़रीब तो मुफ्त में ही बदनाम है प्रियम
हमने फ़टे कपड़ों में ही अमीर देखा है।
©पंकज प्रियम
17.5.2018
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