रिश्ता
रिश्ता वो है जिसमें विश्वास हो
रिश्ता वो है जिसमें एहसास हो
बेड़ियों में नहीं बांधे जाते रिश्ते
रिश्तों में बन्धन का फ़ांस न हो।
प्रेम वो नहीं है जिसे बाँधा जाय
प्रेम वो नहीं है जिसेकहा जाय
पा लेना ही तो नहीं होता है प्रेम
प्रेम वो है जो बलिदान हो जाय।
जीवनसाथी दरिया और किनारा
संग संग चलते दोनों साथ मगर
दरिया भी नहीं छिनती आज़ादी
बाँध के नहीं रखता उसे किनारा।
विश्वास है बढ़ता है प्रेम समर्पण
प्रेम से ही बनता है सुंदर जीवन
प्रेम से ही जुटे हैं सब नाते रिश्ते
प्रेम वही जो करे,जीवन तर्पण।
©पंकज प्रियम
10.5.2018
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