Friday, May 4, 2018

311.जय हनुमान

जय श्री राम,जय हनुमान
आयी है शुभ घड़ी, सुंदर संयोग मंगलवार.
अंजनी पुत्र पवनसुत की,करें जय जयकार।
बाल्यकाल रवि निगले, हुआ जग अंधकार।
गुम हुए अरुण जो,मची चहुँओर हाहाकार।
देव,दानव,जंतु,मानव,करन लगे चीत्कार।
इंद्र ऐरावत चढ़ चले,किया वज्र का प्रहार।
मूर्छित हो गिर पड़े, विफल हुआ उपचार।
आँजनधाम मची प्रलय,करन लगे
चीत्कार।
धरती पड़ा देख हनु,प्रलय मची चहुँ ओर
क्रोधित हो पवन ने, रोक ली पवन
हर ओर।
देव् दानव सब जुटे,लौटाया हनु के प्राण
जय श्रीराम कह उठे ,राम भक्त हनुमान।
आजीवन जपते रहे ,जय श्रीराम जय श्रीराम।
जो सुमिरन हनुमन करे,बने सब बिगड़े काम।
✍©पंकज प्रियम
31.3.2018

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