दूरियाँ
इश्क़ में कहाँ रह जाती है दूरियां
दूर रह कर बनाई है नजदीकियाँ।
हवाएं ही सुनाती है सन्देश उनका
बहुत दूर दूर है जो हमारी बस्तियाँ
चाहत लिपट जाने की उनसे पर
दूर से ही वो गिराते हैं बिजलियाँ।
ये दिल बड़ा नादान है क्या करें
मुहब्बत में न कर बैठे गलतियाँ।
दिल पे कहाँ जोर चलता है प्रियम
इश्क़ को नहीं मंजूर है पाबन्दियाँ।
©पंकज प्रियम
8.5.2018
No comments:
Post a Comment