Tuesday, May 15, 2018

328.किरदार

किरदार

दुनिया एक रंगमंच है जहां पे
वक्त व जरूरत के हिसाब से
लोगों के किरदार बदल जाते हैं।
कभी कृष्ण,कभी राम तो लोग
यहाँ उसे रावण भी बना देते हैं ।
राम बनना तो बड़ी बात,आज
रावण बनना भी आसान नहीं।
सीता बन सदा पवित्र होकर भी
अग्निपरीक्षा देना आसान नहीं।
आज तो हर घर मे सीता है
बन्धन में दिल सिसकता है।
वो रावण की ही मर्यादा थी ,
कैद में भी सिया सुरक्षित थी।
राक्षस होकर भी उसने कभी
मर्यादा अपनी नहीं तोड़ी थी।
देवता होकर भी देवराज इंद्र ने
अहिल्या का शीलभंग किया।
इंद्र से बढ़िया तो रावण ही था
सिया मर्जी का सम्मान किया।
राम के हाथों मोक्ष की चाह थी
तभी लंकेश ने चुनी यह राह थी।
यहां तो हर पल ही नारी रोती है
यहां  हर रोज अस्मत खोती है।
देखो तो हर व्यक्ति ही रावण है
सोच का दायरा बढ़ा तो राम है।
एक गलती की सजा हरसाल
यहाँ पर भुगतना आसान नहीं।
रावण बनकर हरबार भीड़ में
जल जाना भी आसान नहीं।
राम तो बड़ी बात है,आज
रावण भी बनना आसान नहीं।
©पंकज प्रियम

No comments: