Tuesday, May 15, 2018

332. हो न पाएगा

332. हो न पाएगा
डुबाना जिसकी फितरत है सहारा हो न पाएगा
कभी मझधार दरिया का किनारा हो न पाएगा।
दुनियां बड़ी बेदर्द है, देते यहाँ पे सब हैं सितम
जो हमारा न हुआ कभी तुम्हारा हो न पाएगा।
चराग़ मुहब्बत का हमने जो जलाया है सनम
दिलों के रास्ते में कभी भी अंधेरा हो न पाएगा।
गुजर गए हैं जो लम्हें,फिर लौट के ना आएगा
अतीत में डूबकर तो कभी गुजारा हो न पाएगा।
दिलों का बादशाह तो हर दिल में बस जाएगा
जो नजरों से गिरा,आंखों का तारा हो न पाएगा।
हर किसी को दिल में ही बिठा लेते हो तुम प्रियम
तंगदिल कभी आसमां का सितारा हो न पाएगा।
©पंकज प्रियम
15.5.2018

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